सिंघाड़ा शक्तिवर्धक और रक्तशोधक फल है। शरीर में जिन तत्वो की कमी हो जाती है , सिंघाड़े के उपयोग से उनकी कमी दूर हो जाती है। सिंघाड़ा शीतल , मधुर , वीर्य को बढ़ाने वाला , रक्त पित्त के विकारो का नाशक और अन्य कई रोगों में हितकारी होता है। इसके कुछ अन्य भी औषधीय उपयोग है जो इस प्रकार है :-
घरेलु नुस्खे
- बैचेनी और घबराहट होती है तो 10 ग्राम सिंघाड़े का रस सुबह शाम पीने से आराम मिलता है।
- सिंघाड़ा स्त्री रोगों में भी अत्यंत लाभदायक होता है ,खासतौर पर गर्भवती स्त्रियों के लिए। यदि स्त्री गर्भवती 3-4 सिंघाडो का नियमित सेवन करे तो उसकी खून की कमी दूर होती है और उसका होने वाला शिशु निरोगी और सूंदर होता है।
- शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पत्थर पर घिसकर सूजनवाले स्थान पर लेप करे। इससे सूजन कम होती है और दर्द से भी राहत मिलती है।
- नीबू के ताजे रस में सूखे सिंघाड़े को घिसकर दाद और एक्जिमा पर लगाने से वह ठीक हो जाता है।
- टॉन्सिल्स और गले के रोग होने पर व्यक्ति को सिंघाड़े का सेवन करना चाहिए। क्योंकि सिंघाड़ा आयोडीन की कमी को पूरा करता है।
- गर्भाशय की दुर्बलता के कारण जिन महिलाओ के बच्चे कमजोर होते है अथवा जिन्हें बार बार गर्भपात हो जाता है , उन्हें सिंघाड़े से बने खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए जैसे - हलवा , लड्डू , रोटी , शाक आदि। इसका नियमित सेवन करने से गर्भाशय की दुर्बलता दूर होती है।
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