6.8.16

पैरंट्स के लिए गाइड

                                                     पैरंट्स के लिए गाइड 



एक वक्त था जब बच्चो को संस्कार ,सही गलत के बारे में अधिक समझाने की जरूरत नहीं पड़ती थी. तब अधिकतर संयुक्त परिवार थे। घर के माहौल से ही बच्चे सब संस्कार सीख जाते थे।  लेकिन वक्त के साथ आज की जीवनशैली बदल गए है।  परिवार का दायरा भी सिमट सा गया है।  सभी जगह एकल परिवार देखने को मिल रहे है।  बस यही से बच्चो को परवरिश बहुत ही चेलेंजिंग हो गयी है। इस लेख में हम टीनएज बच्चो के पैरंटिंग से जुड़े कुछ समाधान लेकर आये है। 


                                                  जब मिसबिहेव करने लगे 

  •  बच्चे को बचपन से ही गलत व्यवहार करने पर रोके।  बच्चा है यह कहकर उसे बडावा ना दे।  
  • उसे अनुशासन में रहना सीखाये।  इससे वे बड़े होकर भी अनुशासित जीवन जीते है और उनके बिहैवियर में भी बदलाव आएगा


  •  कहीं बच्चा गलत संगत में तो अधिक वक्त नहीं बिता रहा है , इसे भी चेक करे। 


  •   अपना तनाव बच्चो पर न जाहिर करे ,और ना ही तनावग्रस्त होने पर बच्चे से मिस्बेहेव करे। इससे बच्चे का बिहेवियर प्रभावित होता है। 
  • पति पत्नी के आपसी मतभेदों को बच्चो के सामने ना जाहिर होने दे।  उनके सामने लड़ाई झगडे से बचे। आपकी लड़ाई बच्चो पर उलटा असर दिखा सकती है। 
  •  यदि बच्चा बदतमीजी कर रहा है तो उसे ऐसा करने पर तुरंत रोके और अकेले में उन्हें उनकी  गलती बता कर उन्हें डांटने का कारण भी बताये। 


                                   जब झूठ बोलने लगे 

  • अकसर अपने माता पिता की डांट से बचने के लिए बच्चे झूठ बोलते है।  इसके लिए अभिभावकों को चाहिए के घर का ऐसा माहौल बनाए के बच्चा बिना किसी झिझक के अपनी समस्या अपने माता पिता से कह सके। 
  • जब कभी  वे झूठ बोले तो उन्हें मारने से पहले उस विषय पर एक हेल्दी चर्चा करे।  
  • बच्चे झूठ न बोले इसके लिए माता पिता को कभी भी बच्चो के सामने झूठ नहीं बोलना चाहिए। 
  • उन्हें यह महसूस करवाये के झूठ बोलने वाले को आगे चलकर कितनी मुसीबतो का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें सच बोलने को कहे और बताये सच बोलने से इमेज कितनी अछि बनती है 
  • ईमानदारी और सच्चाई की शिक्षा दे और उनके अच्छे काम की सदा तारीफ़ करे जिससे उनका मनोबल भी बढ़ता है। 

पलटकर जवाब देने पर 
  • कोई आपके साथ ऐसा करे तो आपको कैसा लगेगा ? यह सवाल बच्चो से जरूर पूछे।  इससे बच्चे अपनी इस बुरी आदत पर गौर करेगे। उन्हें समझाए ऐसा जवाब देना दूसरो को कितना दुखी कर सकता है। 
  • बच्चो को उनकी जरूरत की हर चीज मुहैया करवाये  ,लेकिन यह भी ध्यान देना जरूरी है की उनकी हर अनुचित मांग को पूरा करना भी जरूरी नहीं है। ऐसा करने से बच्चे चीजो की कदर करना सीखते है। टीनएज बच्चो को पैसो और बचत के महत्व के बारे में बताये। 
  • माता पिता को चाहिए के वे अपने बच्चो को कुछ स्पेस दे , जिन चच्चो को स्पेस नहीं मिलती है वे बदतमीजी से बात करने लगते है। 
  • बच्चे द्वारा किये  हर काम की तारीफ़ करे।  गलती करने पर उन्हें अलग से समझाए ,सबके सामने ना मारे। 
  • बचे के गुस्से में किये गए व्यवहार का जवाब गुस्से में ना दे , उस समय उसकी बात चुपचाप सुन ले।  जब वह शांत हो जाए तब उसे उसकी गलती के बारे में बताये। 
                       फॅमिली और रिश्तेदारो से जब काटने लगे
  • बच्चो को फेमिली वैल्यू और संस्कार से जोड़ना बहुत ही जरूरी है।  बच्चो को परंपरा और संस्कारो  के बारे में समय समय पर बताते रहे। तीज त्योहारो ,शादी की तैयारी करते समय उन्हें भी शामिल करे। रस्मो के महत्व के बारे में बताये। 
  • यह आपकी जिमेदारी है की बच्चो को परिवार के अन्य सदस्यो से जोड़ने के लिए अपने घर में गेट टूगेदर का आयोजन करे 
  • बच्चो को सामाजिक कार्यक्रमो की अहमियत के  बारे में बताये। 
  • बच्चो को अपनी पारिवारिक पृष्टभूमि के बारे में भी बताये। 
  • परिवार के अन्य सदस्यो के बारे में भी बताये। 

      हर वक्त मोबाइल और सोशल नेटवर्किंग साइट पर लगे रहना 
  • काम से काम पूरे दें में एक बार पूरा परिवार एक साथ बैठ कर अच्छा वक्त बिठाये। इसमें बातचीत , हंसी मजाक , और कुछ अन्य इंडोर खेल भी शामिल हो। 
  • उनके फ्रेंड बनने की कोशिश करे , बच्चो से उनकी दिनभर की एक्टिविटी के बारे में पूछे। 
  • समय समय पर इन्टरनेट पर हिस्ट्री चेक करते रहे , जिससे आपको यह पता चलता रहेगा की बच्चा  आपके पीछे से क्या कर रहा है। 
  • कुछ देर मोबाइल  बंद करके अलग रख देने को कहे , हर वक्त मोबाइल से जुड़े रहना एक बीमार की तरह पूरे संसार में फैलती जा रही है। इससे मानसिक रोग भी बहुत हो रहे है। हो सके तो मोबाइल के इस्तेमाल की एक सीमा निर्धारित कर दे। 
  • यंग होते बच्चो को कुछ क्रिएटिव काम करने को प्रोत्साहित करे। सही मार्गदर्शन से आपके बच्चे इस समाज का हिसा बन सकेंगे। 
  • खाना खाते समय मोबाइल को बैन ही कर दे ,यह नियम सभी के लिए बनाये। 
  • रात को सोने जाते समय मोबाइल कमरे में ना ले जाने दे। 
मनोवज्ञानिक कहते है की बच्चो की इच्छा पर रोक लगाने से उनके अंदर कुंठा पैदा होती है और कुछ समय बाद वह गुस्से में बदल जाती है। यह किशोरावस्था तक विकसित होती रहती है।  इसे समझने की कोशिश करे। 

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